Tuesday 30 June 2009

आसमान में काले बादल मन को लुभाते है । बरसात की वो बुँदे जी को ललचाती है । दिल में एक कशक सी उठती है । रहो में जब चलो हलकी बरसतो में हर खुबसूरत चीज़ और खुबसूरत हो जाती है । वो पेड वो पौधे बरसात में धुल के और भी हसीं हो जाते है रास्तो पे जब बुँदे गिरती है जेसे रस्ते चमक जाते है । वो बारिश में भीग ने से बचाते हुए लोग ( लड़किया ) । आधे भीगे और भी हसीं नज़र आते है। भगवान .रखना हमेशा ऐसी महेरबानी इस दुनिया में । इस खुबसूरत जहाँ को और खुबसूरत बनाके

शरद आचार्य

No comments:

Post a Comment